कर्तव्य पथ पर तू चलता चल, दैनिक लेखनी कहानी -20-Aug-2024
कर्तव्यपथ पर तू चलता चल......
ज़िंदा रहने के लिए जिंदादिल बन,
मुड़कर न देख नूतन शुरुआत कर।
बाधाएँ राह पर आती ही हैं,
कर्तव्य पथ पर तू चलता चल।
मंजिल क्यों बदलते बारंबार,
निज कर्मों में कुछ सुधार कर।
खुशियां चूमेंगीं कदम, रंग दिखायेगी मेहनत,
बढते कदम न रोक, चलता रह हरपल।
जिन्दगी की राह अंधेरे या उजाले होंगे,
जिंदगी की राह में कुछ कांटे भी होंगे।
धीमे-धीमे से हर डगर पर तब कदम रख,
जब कुछ समझ न आये तो ईश्वर का ध्यान कर।
लहरों की भांति कूल से टकराकर,
सागर लौटने का नहीं प्रयास कर।
मन में दृढ़ संकल्प ,आत्मविश्वास संजो,
लक्ष्य की ओर सदा बढ़ते रहा कर।
गिरकर संभलना, उठना अफसाने जिंदगी के,
सही राह पे उठाये कदम होते मुश्किल भरे।
जिंदगीके पल होंगे कभी ग़म ,कभी खुशी के,
लक्ष्य निर्धारित कर जीवनपथ पर आगे बढ़।
माना,ख्वाब देखना बेहतर है जिंदगी में,
सिर्फ ख्वाब देखकर मत मौन मत बैठा रह।
कुछ प्रयास कर, ख्वाब कामयाब कर,
किस्मत बदल सकती तुम्हारी किसी मोड़ पर।
~~ राजीव भारती
पटना बिहार (गृह नगर)
Arti khamborkar
21-Sep-2024 08:50 AM
v nice
Reply